sad poetry in hindi on love
क्या करूँ मोहोब्ब्त की इस तासीर का
क्या करूँ मोहोब्ब्त की इस तासीर का
जो बना रही है दिल मे उस तस्वीर का
जिसको डाल लिया जानबूझकर पैरों मे
मैं क्या करूँ दोस्तों उस जंजीर का
न दिन मे चैन है न सुकून रात को
हाल ऐसा है आजकल मेरी तकदीर का
पढ़ा है मैंने अंजाम मोहोब्ब्त वालों का
मुझे नहीं बनना रांझा किसी हीर का
न करनी है दिन रात जागकर शायरी
न ही चाहिए ओहदा किसी मीर का
मैं आशिक हूँ अपने परवरदीगार का
मैं तो मुरीद हूँ सिर्फ अपने पीर का