sad poetry in hindi on love
छोड़ा जिसके लिए घर,हम उस घर के नही है
ठुकराए गए हर दर से,हम किसी दर के नही है
छोड़ा जिसके लिए घर,हम उस घर के नही है
हम तो अब दोस्तों अपने ही बदन के नही है
न कर हम पर यूं सितम हम पत्थर के नही है
सफर में हम तो अपने हम सफर के नही है
हम हैं एक मुसाफ़िर हम किसी नगर के नही है
सिर्फ एक अपने सनम के हक में है हम दोस्तों
कसम से हम किसी और की तरफ के नही है
मोती नही है हम किसी सूखे हुए समंदर के
हम फूल किसी उजाड़ या बंजर के नही है
ये जो ज़ख्म है,तेरी बेवफाई के है मेरे महबूब
ये किसी दुश्मन के खंजर के नही है