sad poetry in hindi on love
दूर परदेस जाकर बैठे मेरे दिल के करार
दूर परदेस जाकर बैठे मेरे दिल के करार
एकबार फ़िर से मेरी मोहब्बत को पुकार
तड़प रहा है आज भी वो दिन और रात
जो दिल हुआ था कभी तेरे हाथ से शिकार
पल पल चाट रही है उम्र की दीमक इसको
धीरे धीरे झड़ रहा है ये जिस्म का मकान
बहाए है दरिया आंखों ने जुदाई में तेरी
गवाह है इसका ये जमीन और आसामान
क्यूं खत्म होने पर आता नही हिज्र तेरा
कब जाकर होगा मुझ को तेरा दीदार
कब से खड़े है सागर के किनारे पर हम
कभी तो इस तरफ तू अपनी कश्ती उतार