sad poetry in hindi
दिन ढलते याद आने लगते हो
दिन ढलते ढलते तुम याद आने लगते हो
जाम गिलास मे पड़ने से पहले ही
नशा बनकर छाने लगते हो
कट जाती है, फिर सारी रात करवट बदलते बदलते
जलते ही सिगार धुआ बनकर खिड़की से
बाहर जाने लगते हो
क्यू मेरी मुस्कान बनकर मेरे होठो पर नहीं ठहरते तुम
क्यू आँसू बनकर मेरी इन आंखो से बहने लगते हो
मैं वो मुसाफिर हूँ, जिसकी अब कोई मंज़िल नहीं
फिर क्यू हर मोड़ पर मुझसे तुम टकराने लगते हो
तुम वो ही हो जिसने मुझे कभी जीना सिखाया था
तुम वो ही हो जो आज याद बनकर
मुझे तड़पाने लगते हो