sad poetry in hindi on love
उसको हो चुकी मेरी आदत है
उसको हो चुकी मेरी आदत है
क्या इसी को कहते चाहत है
देखने भर से जो मिलती है उसको
क्या वो ही मुकम्मल राहत है
उसी से रूठना उसी को मनाना
ये कैसी दिल की शरारत है
गवाना पड़ता है सुकून दिल का
क्या यहीं मोहोब्ब्त की रिवायत है
करे जो सजदे महबूब के
यार उसी को मानते इबादत है
किए जाते है कत्ल यहाँ आँखों से
कैसी ये खूबसूरत सियासत है