sad poetry in hindi on love
उसने कभी भी मोहब्बत में मुझे चुना न था
उसने कभी भी मोहब्बत में मुझे चुना न था
इसलिए मैने भी उसे कभी छुआ न था
रब से भी बढ़कर था वो मेरे लिए दोस्तों
वो लब से निकली सिर्फ दुआ न था
वो जानता था मेरा हर दर्द हर तकलीफ
मेरी गजलों में कुछ भी छुपा न था
मेरे दिल में थी बेपनाह मोहब्बत उसके लिए
मगर मैने उस से कभी कुछ कहा न था
दिखने मैं था वो हू ब हू मेरे जैसा ही दोस्तों
मेरा रंग उसके रंग से जुदा न था
कितने दुख कितने गम है इस मोहब्बत में
करने से पहले मुझे पता न था
क्यूं न हो सकी मुक़म्मल मोहब्बत मेरी
इसके सिवा खुदा से कोई गिला न था