sad poetry in hindi on love
वो मुझ से गजलों और नज्मों में बाते करता हुआ
वो मुझ से गजलों और नज्मों में बाते करता हुआ
और मैं उसकी मुस्कान से लफ्जों के मोती चुनता हुआ
वो रूह बनकर मेरे जिस्म में धीरे से उतरता हुआ
और मैं मोहब्बत बनकर उसके दिल से निकलता हुआ
वो घर घर जाकर लोगो से पता मेरा पूछता हुआ
और मैं उसकी तलाश में न जाने कहां कहां भटकता हुआ
वो रातों को नीदों में ख्वाब बनकर बसता हुआ
और मैं उसकी खोज में यादों के जंगल से गुजरता हुआ
वो सबके सामने मुझे अपना कहकर बुलाता हुआ
और मैं दुनिया और बदनामी के डर से बचता हुआ
वो पल पल हर पल दोस्तों मुझ पर मरता हुआ
और मैं लम्हा लम्हा सिर्फ उसको देख कर जीता हुआ
वो सांस बनकर मुझमें फूटता हुआ,वो लहूं बनकर मुझमें बहता हुआ
और मैं धूप बनकर उस पे बिखरता हुआ,मैं बादल बनकर उस पे बरसता हुआ