sad poetry in hindi

sad poetry in hindi on love | sad poetry in hindi | मैं जब भी रातों को सो रहा होता हूं

sad poetry in hindi on love

मैं जब भी रातों को सो रहा होता हूं

मैं जब भी रातों को सो रहा होता हूं
खिड़की तेरे ख्यालों की खोल रहा होता हूं

चुपके से आकर बैठ जाती हो सामने तुम
मैं जब भी कुछ सोच रहा होता हूं

होता है क्यूं तुम्हारा ही नाम जुबान पर
मैं जब भी कुछ बोल रहा होता हूं

आ जाती है क्यूं चिट्ठियां तुम्हारी सामने
मैं जब भी कुछ खोज रहा होता हूं

बढ़ाने लगते है खुद कदम तेरे घर की तरफ
मैं जब भी इनको रोक रहा होता हूं

निकलता है क्यूं हर बार तेरा ही प्यार ज्यादा
मैं जब भी इनको तोल रहा होता हूं

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