sad poetry in hindi on love
ये कैसी मोहब्बत मुझ से मेरी दिलरुबा करती है
ये कैसी मोहब्बत मुझ से मेरी दिलरुबा करती है
खुद को बंदगी और मुझे खुदा की जगह रखती है
जो जीती है सिर्फ और सिर्फ देखकर मुझको
वो दोस्तों पल पल मुझपर ही क्यूं मरती है
लिखती है दिन रात गजलों,नज्मों,गीतों में मुझको
और मुझको ही आयत की तरह वो रोज पढ़ती है
रहती है हर वक्त साए की तरह साथ साथ मेरे
पाने के बाद भी मुझको वो खोने से डरती है
जानती नही कुछ भी मेरे सिवा वो दुनिया मे दोस्तों
जब भी कलम पकड़ती है नाम मेरा ही लिखती है
खिल जाता है चेहरा गुलाब की पंखुड़ियों की तरह उसका
जब भी कानो में उसके आवाज मेरी पड़ती है