sad poetry in hindi on love
आज लगी आँखों में सावन की झड़ी हो जैसे
आज लगी आँखों में सावन की झड़ी हो जैसे
मुद्दतों बाद उससे मिलने की आई घड़ी हो जैसे
आज भी उसके खत पढ़ता हूं तो ऐसा लगता है
वो जान ए तमन्ना मेरे सामने आकर खड़ी हो जैसे
रोज सुबह उठता हूं तो तकिया गिला मिलता है
उसकी याद मेरे दिल के किसी कोने में पड़ी हो जैसे
वो उदास होती है तो आँसू मेरी आँखों से निकलते है
रह गई हो हमारे बीच आज भी कोई कड़ी हो जैसे
आ जाती है मुस्कान होंठो पर जब सोचता हूं उसको
उसकी यादें उसकी बाते मेरे गम से बड़ी हो जैसे
जिस तस्वीर को देखकर में खींचा चला गया
करीब जाने पर एहसास हुआ वो उसके आंसुओं से जड़ी हो जैसे
आज भी उसके खत पढ़ता हूं तो ऐसा लगता है
वो जान ए तमन्ना मेरे सामने आकर खड़ी हो जैसे