sad poetry in hindi
आज भी मैं वही खड़ी हूँ
एक बार मुड़ कर तो देख, आज भी मैं वही खड़ी हूँ
हाथ छुड़ा के जहाँ से आगे निकल गया था, तू
देख मुड़ कर आज भी मैं वही रुकी हूँ
तेरे लिये शायद मैं
एक गुजरा ज़माना बन चुकी होगी
पर मेरे लिये तू वो आसमा है
जिसके नीचे भीगने को आज भी मैं तैयार खड़ी हूँ
एक बार मुड़ कर तो देख, आज भी मैं वही खड़ी हूँ
आज भी मैं तेरी आंखो मे खुद को देखना चाहती हूँ
तेरी साँसो की गर्मी मे जलना चाहती हूँ
आज भी मैं तुझे आगोश मे भरने को बेताब बड़ी हूँ
एक बार मुड़ कर तो देख, आज भी मैं वही खड़ी हूँ
मुड़ कर तो देख मैंने हँसना, गाना छोड़ दिया
तेरे प्यार पर किसी को प्यार ना आ जाये
ये सोच कर हार, शिंगार से नाता तोड़ लिया
पर तेरे लिये मैं आज भी सजने, सवरने को बेकरार बड़ी हूँ
एक बार मुड़ कर तो देख, आज भी मैं वही खड़ी हूँ
कई आये तेरे जाने के बाद, हाथ थामना चाहा मेरा
तुझसे तोड़कर मुझको, खुद से नाम जोड़ना चाहा मेरा
पर उनको क्या पता, मैं पगली आज भी तेरी दीद मे
आंखे बिछाए पड़ी हूँ ………
एक बार मुड़ कर तो देख, आज भी मैं वही खड़ी हूँ
तेरी बातों मे अब मेरा जिक्र नहीं
तुझे तो शायद अब मेरी फिक्र भी नहीं
तुमने तो अपनी जिंदगी से निकाल दिया होगा मुझे
पर मैं आज भी तेरी यादों से निकलने की कोशिश मे लगी हूँ
एक बार मुड़ कर तो देख, आज भी मैं वही खड़ी हूँ