sad poetry in hindi
मैं इतनी दूर आ गयी
तेरी और आते आते
मैं इतनी दूर आ गयी
चाह कर भी पीछे मूड नहीं सकती
भूल गयी थी, तू वो परछाई है
जिसे देख तो सकती हूँ,
पर मैं कभी छू नहीं सकती
गलती मेरी है
मैं ही उस वक़्त कमजोर पड़ गयी थी
लाखो चेहरे थे, आस पास मेरे
लेकिन तेरी ओर झुक गयी थी
रूकी रहती थी,
घंटो तेरी एक झलक के लिये
छुप छुप कर तेरी बाते सुनने लगी थी
सच से अंजान मैं
मैं झूठ मे जीने लगी थी
जानती थी, प्यार तो तू मेरा है
पर तेरी मैं कोई ना थी
इस बात का एहसास हुआ जब
मैं काफी दूर आ चुकी थी, तब
पीछे मूडना मुश्किल था
पर तेरी ज़िंदगी से जाना ही मुंकिन था
जा रही हूँ वैसे
चुपके से तेरी जिंदगी मे आई थी, जैसे
मुझमे रहेगा तू इस तरह
रहती है, मेरी साँसे मुझमे जिस तरह
तेरी और आते आते
मैं इतनी दूर आ गयी
चाह कर भी पीछे मूड नहीं सकती