sad poetry in hindi on love
मेरे दर्द की अब यहां दवा कोई नही
मेरे दर्द की अब यहां दवा कोई नही
तू लौट आ मेरे दोस्त मेरा पता कोई नही
बहती थी जिन से नदियां तेरी याद में
उन आंखों में एक भी आंसू अब बचा कोई नही
ये मोहब्बत है मेरे दोस्त होनी थी सो हो गई
इसमें तुम्हारी या मेरी किसी की खता कोई नही
मैं किसके आगे फरियाद करूं कहां माथा टेकूं
तुझे पता है न आशिकों का यहां खुदा कोई नही
महबूब की जुदाई में काटनी पड़ती है जो
उन तन्हां अकेली रातों से बुरा कोई नही
मैंने कितनी आवाज़ें लगाई दरवाज़ा भी खटखटाया
पर तेरे घर से बाहर निकला कोई नही