sad poetry in hindi on love
रात की खूबसूरती बढ़ाता महताब हो तुम
रात की खूबसूरती बढ़ाता महताब हो तुम
खुदा की कसम बड़े ही लाजवाब हो तुम
किया है मेरी कल्पनाओं को जिसने जीवंत
दोस्त वो एक मुकम्मल ख्वाब हो तुम
न डर समाज का न बंधन रीती रिवाज का
न जाने कैसे इतने बेबाक हो तुम
जिसको पढ़कर सीख रहा हूं मैं
नए नए हुनर शायरी के वो किताब हो तुम
अगर मैं गीत हूं तो आवाज हो तुम
मेरी कल्पनाओं में बेहिसाब हो तुम