sad poetry in hindi on love
मैं उसका कर्ज चुका नही पाया
मैं उसका कर्ज चुका नही पाया
मोहब्बत में साथ निभा नही पाया
वो बुलाती रही हमेशा मुझको
और मैं लौटकर गांव जा नही पाया
जो दिए थे सपने उसने मुझको
मैं उनका भी बोझ उठा नही पाया
क्या बीतती थी उसके खत पढ़कर
ये भी उसको बता नहीं पाया
मैं देखता था जिसमे दुनिया अपनी
उस लड़की को दुल्हन बना नही पाया
इस पैसे की अंधी दौड़ में
मैं मोहब्बत अपनी बचा नही पाया