sad poetry in hindi on love
जब भी तेरी गलियों से गुजरने लगते है
जब भी तेरी गलियों से गुजरने लगते है
हम मोर की तरह झूमने लगते है
चूमते है हर एक दर और दीवार को
हर एक मकान से तेरा हाल पूछने लगते है
तेरे साथ बिताए लम्हे वो मोहब्बत भरे दिन
सब मेरी आंखों के सामने घूमने लगते है
भूल जाते है खुद को आकर तेरी गलियों में
कुछ इस तरह से तेरी यादों में डूबने लगते है
फिर कान लगाकर तेरे घर की खिड़की से
हम आवाज तेरी सुनने लगते है
तू अब वहां नही रहता है
हम ये भी भूलने लगते है