sad poetry in hindi on love
बरसों से खड़े किसी पुराने हिसार से
बरसों से खड़े किसी पुराने हिसार से
जो बिखरने लगा है तेरे इंतज़ार से
लगाता हूं जब भी आवाज़ तुमको मैं
तो उभरने लगता है तेरा चेहरा दीवार से
रोज रोक कर पूछता हूं डाकिए से
क्या किसी ने भेजा है खत दरिया पार से
बने है जो सहारा मेरा तन्हाई में
ये गजलें नज्में गीत बेहतर है मेरे यार से
मोहब्बत कर ली है मैंने भी पतझड़ से
मुंह फेर लिया है अब बहार से
अब उसे कह दो लौटने की ज़हमत न करे
जा चुकी है रोशनी मेरी अश्क-बार से