sad poetry in hindi on love
मोहोब्ब्त मे खुद को मुसाफिर मान कर
मोहोब्ब्त मे खुद को मुसाफिर मान कर
मैं निकल पड़ा हूँ तुझको रस्ता जान कर
मंज़िल की ख़्वाहिश किसको है जानां
तू यादों को जीने का सामान कर
मैंने दी है तुझको पूरी जिंदगी
तू कुछ पल खैरात मे मुझको दान कर
न हो यूं शर्मिंदा दुनिया के सामने तू
तू मोहोब्बत है तू खुद की पहचान कर
जो अलग करते है खुदा के नाम पर चाहने वालों को
चल रहे है कैसे गर्दन तान कर