sad poetry in hindi on love
मेरी पहली मोहोब्ब्त ही आखिरी है
मेरी पहली मोहोब्ब्त ही आखिरी है
दोस्तों ये ही मेरी सादगी है
उसको ही लिखा है गज़लों मे
वो ही मेरी शायरी है
आज भी मांगता हूँ खुदा से उसको
वो अच्छी तरह जानती है
जिसे देखने से दिखता नहीं कुछ
वो दिखने मे सावली है
अगर मैं एक नदी हूँ ठहरी हुई
तो वो बहता पानी है
जुर्म खुलेआम और मोहोब्ब्त छुपाकर
कितना कमजोर आदमी है