sad poetry in hindi

sad poetry in hindi on love | sad poetry in hindi | कभी मंजिल कभी रस्ता कभी सफ़र बन के

sad poetry in hindi on love

कभी मंजिल कभी रस्ता कभी सफ़र बन के

कभी मंजिल कभी रस्ता कभी सफ़र बन के
वो खड़ा था हर मोड़ पे शजर बन के

चलो फिर से लौट चले उन्हीं गलियों में
जहां मिला था मुझसे वो मोहब्बत बन के

उसे लफ्ज़ लफ्ज़ लिखा है मैंने दोस्तों
वो उतरा है मेरी रचनाओं में गज़ल बन के

आती है आज भी उसकी महक मुझसे
वो एक रात मिला था मुझसे बदन बन के

बड़े याद आते है मुझको वो नन्हे पल
जो कभी आए थे मेरी जिंदगी में बचपन बन के

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