sad poetry in hindi on love
खंडर खामोशी का एक पल में ढह गया
खंडर खामोशी का एक पल में ढह गया
गम आंसू बनकर जब उसकी आंखों से बह गया
किसको ढूंढ रही थी उसकी नजरे महफिल में
किसका रस्ता वो आज तकता रह गया
बरसों से जो दर्द दबा था उसके अंदर
आज वो गजल ही गजल में कह गया
ये किसके हिस्से का गम था मेरे दोस्तों
जो वो शख्स अकेला ही सह गया