sad poetry in hindi on love
एकदिन उसके शहर को छोड़कर जाना पड़ा मुझे
एकदिन उसके शहर को छोड़कर जाना पड़ा मुझे
वो हो गया किसी और का इसलिए भूलाना पड़ा मुझे
कैसे करता शुरुआत अपनी ज़िंदगी की फिर से
इसलिए उसकी मोहब्बत से ध्यान हटाना पड़ा मुझे
जब आने लगी थी महक उसके बदन की फूलों से
तो आंगन के फूलों को आंगन में दबाना पड़ा मुझे
दिखने लगा था उसका चेहरा आइनो में दोस्तों
इसलिए भी घर के आइनो को बाहर फिकवाना पड़ा मुझे
इस कमरे में वो खिड़की है जो खुलती है उसके शहर की और
ये ही कारण है जो इसको ताला लगाना पड़ा मुझे
आती थी खतों से उसके रोने की सिसकियां
दोस्तों उन खातों को मजबूरी में जलाना पड़ा मुझे