sad poetry in hindi on love
चुपचुप,उदास,रहता है वो ख्वाबों में
चुपचुप,उदास,रहता है वो ख्वाबों में
बहाता है आंसू दोस्तों मेरी यादों में
छोड़कर जिसको मैं बस गया यहां
आती है सदाए उसकी कमरे की दीवारों से
जिसमे दिखता है रोता हुआ चेहरा उसका
रहना नही है मुझे ऐसे खातों के सहारों पे
क्या कहे अब कैसे गुजर रही है जिंदगी
दिन बीतता है दफ्तर में रात कटती है मयखाने में
सुना देता हूं अपना सारा गम समंदर को
दोस्तों मैं बैठकर उसके किनारों पे
उसकी मासूम मोहब्बत की लाश लिए फिरता हूं
मैं शहर शहर गली गली अपने शानो पे