sad poetry in hindi on love
वो धीरे धीरे आज मोहब्बत में ढल रही थी
वो धीरे धीरे आज मोहब्बत में ढल रही थी
शमा बनकर मेरे कमरे में जल रही थी
बैठी थी रूबरू होकर मेरे दोस्तों
जो सपना बनकर मेरी आंखों में पल रही थी
मैंने जिसका किया बरसों इंतजार
वो शाम तो उसकी बातों में निकल रही थी
कर रही थी पायल उसकी शोर बहुत
उसकी हंसी सारा सन्नाटा निगल रही थी
उतर रही थी आयत बनकर मेरी रूह में
वो लड़की धीरे धीरे इबादत में बदल रही थी
sad poetry in hindi on love
