sad poetry in hindi on love
एक उजड़ा हुआ मंजर हूं मैं
मुझसे उम्मीद रखने वाले एक उजड़ा हुआ मंजर हूं मैं
जहां आकर ठहरता नही कोई परिंदा वो खंडर हूं मैं
हां कभी शादाब हुआ करता था मैं भी किसी की मोहब्बत में
लेकिन जब से छोड़कर गया है वो तब से बंजर हूं मैं
देखकर मुझ को शांत कहीं तुम भी धोखा न खा जाना
दफन है जिसमें गम महबूब का वो बहता समंदर हूं मैं
मुझे ढूंढता फिरता है मेरा जानी न जाने बाहर कहां
उस से जाकर बोलो कहीं और नहीं उसके अंदर हूं मैं
तू जिस्म पर मरने वाला मैं रूह से मोहब्बत करने वाला
सिर्फ एक यही तो तेरे और मेरे बीच का अंतर हूं मैं
sad poetry in hindi on love
