sad poetry in hindi on love
जो करीब था दिल के वो ही आज दूर हुआ
जो करीब था दिल के वो ही आज दूर हुआ
मुझे कभी न नसीब उसकी बाहों का सुकून हुआ
दोस्त मेरी मोहब्बत न सही तो न पर आज मगर
मेरे महबूब को मेरा हिज़्र तो चलो कबूल हुआ
उसके दर पे बिताए दिन और राते गलियों में
या खुदा तेरे बंदे को ये इश्क़ का कैसा जुनून हुआ
एक पल भी मैने कभी कम न होने दी मोहब्बत
भले इसमें मेरे अरमानों का कई बार खून हुआ
न कर कोशिश मेरे इश्क़ की हद को नापने की
मुझे तो इसमें खाक में मिल जाना भी मंजूर हुआ
sad poetry in hindi on love
