sad poetry in hindi on love
जहां कभी कोई नाव न रुकी वो साहिल हूं मैं
जहां कभी कोई नाव न रुकी वो साहिल हूं मैं
जो समझ न पाया तेरे इश्क़ को वो जाहिल हूं मैं
जिसने जुदाई में तड़प तड़पकर दम तोड़ दिया
हां उसी मासूम लड़की का कातिल हूं मैं
जो हो चुका है महरूम अपने महबूब की मोहब्बत से
वो एक बद किस्मत लाचार आशिक़ हूं मैं
दे मुझे जितनी सजा देना चाहता है ऊपर वाले
आज तेरे दर पर अपने पाप लेकर हाज़िर हूं मैं
जिसने डूबो दिया उसे गमों में वो बारिश हूं मैं
जिसने जला दिया अपना आशियां वो आतिश हूं मैं