sad poetry in hindi

sad poetry in hindi on love | sad poetry in hindi | न करो रिहा मुझको गुनहगार रहने दो

sad poetry in hindi on love

न करो रिहा मुझको गुनहगार रहने दो

न करो रिहा मुझको गुनहगार रहने दो
मुझको यादों मे उसकी गिरफ्तार रहने दो

जो पाल रखा है भरम उसकी मोहोब्ब्त का मैंने
मुझको उसी मे उम्रभर के लिए यार रहने दो

एक दर्द ही तो है जिसने जोड रखा है हमको
न करो उसका इलाज़ उसको दरमियान रहने दो

न छिनो जमीन जिसमे उसकी यादे बसी है
उसकी मोहोब्ब्त का सिर पे आसमान रहने दो

तुम बाँट दो भले अपनी चाहत सारी दुनिया मे
पर अपने गमों का मुझको ही हकदार रहने दो

रहने दो वो मकान जिसको उसने घर बनाया
मुझको सुकून देता वो साएबान रहने दो

sad poetry in hindi on love
sad poetry in hindi
sad poetry in hindi on love
Share With :