sad poetry in hindi on love
हमारे दरमियान अब कोई चाहत नहीं बची
हमारे दरमियान अब कोई चाहत नहीं बची
तुझको देखकर जो मिलती थी वो राहत नहीं बची
किस बात पर अब झगड़ा करे तुमसे हम
तुमसे करने के लिए अब कोई शिकायत नहीं बची
रह गयी है सिमट कर अब सिर्फ होंठों तक
की जाती थी जो दिल से वो इबादत नहीं बची
दी जाती है तो सिर्फ दुहाई मोहोब्ब्त के नाम पर
मोहोब्ब्त करने की लोगो मे आदत नहीं बची
महरूम हो चुका हूँ अब तेरे हर ख्वाब से मैं
तेरी यादों की भी मेरे अंदर कोई आहट नहीं बची
बची है तो सिर्फ एक लंबी खामोशी और दर्द
जो दे दी तुझको मेरे पास वो मुस्कुराहट नहीं बची