sad poetry in hindi on love
पत्ता पत्ता करके पहले गिरूँगा मैं
पत्ता पत्ता करके पहले गिरूँगा मैं
फिर जाकर बहार मे खिलूंगा मैं
समा जाती है जैसे नदी समंदर मे
ऐसे ही किसी रोज़ तुमसे मिलूंगा मैं
जिसके बिना अधूरी हो हर कहानी मोहोब्ब्त की
ऐसा एक किरदार लिखूंगा मैं
जब जब पढ़ोगे कोई नज़्म कोई गज़ल
तो उसमे भी तुमको दिखूँगा मैं
तुम्हारे हिस्से मैं आएगी मिठास मोहोब्ब्त की
जहर जमाने का सिर्फ पीऊँगा मैं
मेरी चाहत रखने वालों सुनो
आँखों मे अपने महबूब की मिलूंगा मैं
sad poetry in hindi on love
