sad poetry in hindi on love
इश्क़ से मेरा इंकार नहीं
इश्क़ से मेरा इंकार नहीं
पर तेरे जिस्म का मैं तलबगार नहीं
जिसका तू दोषी ठहरा रहा है मुझको
उस मोहोब्ब्त का मैं गुनहगार नहीं
मैं हूँ हर ईमान मे तेरे साथ
पर कुफ्र मे तेरा वफादार नहीं
लगाए सके मेरी मोहोब्ब्त का हिसाब
दोस्त इतना भी तू होशियार नहीं
खर्च कर दि जिंदगी जिसने यार मनाने मे
वो मोहोब्ब्त का ख़रीदार नहीं
मैं दर्द के बदले दर्द दूँ तुझको
दोस्त इतना भी मैं बीमार नहीं