sad poetry in hindi on love
जलाया था जिसने वो ही बुझा कर चला गया
जलाया था जिसने वो ही बुझा कर चला गया
वो शख़्स आज मुझ को मिटा कर चला गया
जिसमे रखा था बे पनाह प्यार उसके लिए
उसी दिल को आज वो दुखा कर चला गया
चला गया ईक घाव गहरा दे कर मुझको वो
वो मुझको ईक रोग उम्रभर का लगा कर चला गया
कभी न आएगा वो लौटकर दुनिया मे मेरी
जाते जाते ये बात भी बता कर चला गया
खिलना चाहता था जो बनकर फूल
उसी को वो पत्थर बना कर चला गया
चला गया चुरा कर मुझसे मेरी ही नीदे
मुझे मेरे ही आंसूँओ मे डूबा कर चला गया