sad poetry in hindi on love
मेरे महबूब मुझे मोहोब्ब्त की इतनी बड़ी सजा न दे
मेरे महबूब मुझे मोहोब्ब्त की इतनी बड़ी सजा न दे
तुझसे है जिंदगी मेरी,मेरी जिंदगी यूं दगा न दे
अगर है हुकुम तेरे बिना ज़ीना है मुझको यहाँ
तो मुझ को तू जानेजा लंबी उम्र की दुआ न दे
मुझे खौफ और किसी का नहीं बस डर इसी का यही
की तेरा दीदार फिर से मेरी मोहोब्ब्त को जगा न दे
फिर से बना न दे ये मुझ को आशिक तेरा
फिर से ये हमारे दरमियाँ नज़दीकियाँ बढ़ा न दे
हम चुप रह जाते है सोच कर ये ही हमेशा
कहीं हमारा गम ए हिज़्र तुझ को भी रूला न दे
जो परिंदे आते है लेकर संदेश तेरी सलामती का
मुझे डर है तेरी नफ़रतों के झोंके उनको भी उड़ा न दे