sad poetry in hindi on love
मुझको अपना बनाकर कहां चल दिए
मुझको अपना बनाकर कहां चल दिए
फूल वीरां में खिलाकर कहां चल दिए
मेरी रातों को तुम्हारी आदत हो चुकी है
इनको तन्हां सुलाकर कहां चल दिए
एक आवाज पर तेरी में दौड़ी चली आई
और तुम मुझको बुलाकर कहां चल दिए
थामे रखने का वादा किया था जिसको
उस हाथ को छुड़ाकर कहां चल दिए
जिसको दे दी अपनी सारी जिंदगी तुमने
वो मोहब्बत सिखाकर कहां चल दिए
जब बना लिया था तुमको जरूरत अपनी
तब रोग जुदाई का लगाकर कहां चल दिए