sad poetry in hindi on love
इक इक ईट हिज़्र की लगाता हुआ घर
इक इक ईट हिज़्र की लगाता हुआ घर
जश्न अपनी बेबसी का मनाता हुआ घर
अपनी चार दिवारी के अंदर दोस्तों
पुरानी यादों के बोझ उठाता हुआ घर
जो हो गए परदेसी पैसा के वास्ते
उन को अपने देस बुलाता हुआ घर
टूटी,फूटी,बेरंग हो चुकी अपनी दीवारों पर
हमारी रंगीन तस्वीरे सजाता हुआ घर
किस्से मेरे बचपन के दोहराता हुआ घर
कहानियां मेरे बुजुर्गों की सुनाता हुआ घर
मेरे हर दर्द,हर गम,हर तकलीफ को दोस्तों
अपनी छत के नीचे छुपाता हुआ घर