sad poetry in hindi on love
जहां से जा रहे हो छोड़कर वहीं खड़ा मिलूंगा
जहां से जा रहे हो छोड़कर वहीं खड़ा मिलूंगा
बरसों बाद भी इन्हीं राहों पर तुझे पड़ा मिलूंगा
तू लाख कर ले इंकार तुझे अपना बनाना है मुझे
जो ज़िद आज है मेरी कल भी इसी पर अड़ा मिलूंगा
आऊंगा बनकर जुगनू रोज रात को तेरी खिड़की पर
मैं कोई ज़ख्म नही हूं जो जुदाई में सड़ा मिलूंगा
अगर तूने आने में लगा दी जरा सी भी देर जानां
तो जिस पर हो नाम मेरा उस कब्र के नीचे गड़ा मिलूंगा
कमा लूंगा इतना नाम मैं मोहब्बत में की तुझे मैं
जब भी मिलूंगा रांझें,मजनू,महिवाल से बड़ा मिलूंगा
दर्द,गम,तन्हाई,रुसवाई,जुदाई वो गहने है इश्क़ के
की मैं हमेशा तुझ को इन्हीं से जड़ा मिलूंगा