sad poetry in hindi

sad poetry in hindi on love | sad poetry in hindi | खुले थे मेरे ज़ख्म पर उसके लिए दवा नही आई

sad poetry in hindi on love

खुले थे मेरे ज़ख्म पर उसके लिए दवा नही आई

खुले थे मेरे ज़ख्म पर उसके लिए दवा नही आई
मुझ से मिलने कभी फिर मेरी महबूबा नही आई

जिसको पाने के लिए मैंने मांगी मन्नते दिन रात
खुदा के घर से पूरी होकर मेरी वो दुआ नही आई

झुलसाती रही पल पल तेरी यादों की तेज धूप मुझे
पर खिड़की से कभी तेरी मोहब्बत की ठंडी हवा नही आई

क्या इतनी दूरियां आ गई थी हमारे दरमियान यारा
जो मैने तुझ को पुकारा और तुझ तक मेरी सदा नही आई

अभी भी बसा पड़ा है तेरी मोहब्बत का नगर दिल में
क्यूं उसे तबाह करने फिर से तू बेवफा नहीं आई

जब से मिलने लगा है मुझ को सुकून तेरी जुदाई में
यारा तब से मेरे करीब कोई बद-दुआ नही आई

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