sad poetry in hindi on love
क्या उनको आज भी हम ख्वाबों में मिलते होंगे
क्या उनको आज भी हम ख्वाबों में मिलते होंगे
क्या दुआ बनकर आज भी उनके लबों से निकलते होने
क्या आज भी करते होंगे वो दोस्तों में मेरा जिक्र
या मेरा जिक्र आने पर वो बात को बदलते होंगे
क्या आज भी लिखते होंगे वो सिर्फ मेरे लिए
और लिखते हुए उनकी आंखों से आसूं छलकते होने
मिलते थे हम दोनो नदी के जिस किनारे पर
क्या आज भी वहां जाकर वो मुझे याद करते होंगे
जो पौधा लगाया था मोहब्बत का मैने उनके आंगन में
क्या बाहर आने पर उसमे फूल खिलते होंगे
जिस घर की छत से देखा करती थी रोज उनको
क्या उस घर के सामने से आज भी वो गुजरते होंगे