sad poetry in hindi on love
कभी तो अजनबी बनकर टकराओ
कभी तो अजनबी बनकर टकराओ
कभी तो अपने घर चाय पर बुलाओ
कभी तो मेरी सुनो तुम
कभी तो अपनी मुझे बताओ
कभी तो दो कदम साथ चलो
कभी तो मेरी दोस्त बनो
कभी तो प्यार से आवाज लगाओ
कभी तो मेरी तरफ हाथ बढ़ाओ
कभी तो मेरे गीतों को आवाज दो
कभी तो बेजान अल्फाजों को जान दो
कभी तो अपना इश्क़ मुझे उदार दो
कभी तो प्यार में मात दो
कभी तो मेरे आंगन में फूल बनकर खिलो
कभी तो रक्स करती मेरी गजलों में मिलो
कभी तो सिलसिला मोहब्ब्त का बढ़ाओ
कभी तो मेरे करीब आओ
कभी तो कोई ख्वाब दिखाओ
कभी तो मेरा नाम लेकर बुलाओ
कभी तो शमा बनकर जलो
कभी तो परवाना इश्क़ में बनो
कभी तो ढलते दिन के साथ मेरी आंखों में ढलो
कभी तो मेरे साथ बागो की सैर पर चलो
कभी तो फूलो को खुशबू उदार दो
कभी तो तितलियों को अपना खुमार दो
कभी तो आंखों से जाम दो
कभी तो अपने आशिक़ को करार दो
कभी तो कयामत ढाओं मुझ पर
कभी तो इश्क़ बरसाओ मुझ पर
कभी तो घटा बनकर छाओ मुझ पर
कभी तो घाव इश्क़ का गहरा लगाओ मुझ पर
कभी तो अजनबी बनकर टकराओ
कभी तो अपने घर चाय पर बुलाओ
कभी तो मेरी सुनो तुम
कभी तो अपनी मुझे बताओ