sad poetry in hindi

sad poetry in hindi on love | sad poetry in hindi | फूल बनकर खिल गया हूं मैं

sad poetry in hindi on love

फूल बनकर खिल गया हूं मैं

जुदाई की काली रातों से निकल कर
तन्हाइयों की तेज धूप में पिघल कर
फूल बनकर खिल गया हूं मैं
आज मोहब्बत की राहों में बिखर कर

मुझ में मेरा कुछ ना रहा
तुझ सा हो गया हूं तुझ से मिल कर
तू ही तू अब शामिल है मुझ में
खुद में, मैं रह गया सिमट कर

अपनी ही सिसकियों में जल कर
अपने ही अश्कों से निखर कर
निशान देख रहे हो जो हाथों पर मेरे
आया हूं अपने ही ज़ख्मों को सिल कर

फूल बनकर खिल गया हूं मैं
आज मोहब्बत की राहों में बिखर कर

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