sad poetry in hindi on love
वो कितनी प्यारी थी शाम
वो कितनी प्यारी थी शाम
तेरे साथ जो गुजारी थी शाम
भूलकर उस दिन सारी दुनिया को
मैने तुझ पर वारी थी शाम
डूबे थे हम दोनो इश्क़ में उस दिन
उस दिन एक दूसरे की बाहों में हारी थी शाम
सूरज की लाली में नहाती हुई
हमने अपने दरमियां उतारी थी शाम
जैसे जैसे हो रही थी गहरी शाम
वैसे वैसे सांसों पर भारी थी शाम
कई शामे आई और कई गई
गुजरी तेरे साथ जैसी, वैसी कभी नहीं गुजारी थी शाम
भूलकर उस दिन सारी दुनिया को
मैने तुझ पर वारी थी शाम