sad poetry in hindi on love
मेरी सदाओं से दरारे पड़ी दीवारों में
मेरी सदाओं से दरारे पड़ी दीवारों में
मेरे आंसुओं से फूल खिले वीरानो में
बहने दो, मुझे बहना है, मुझे बहने से ना रोको
मेरे बहने से ही चश्मे खुले रेगिस्तानों में
देखकर हालत फकीरों जैसी मेरी
फैली दहशत दीवानो में
मेरी आँखें से जो मोती निकले
वो बिखरे पड़े है किनारों में
मैं ठहरा एक मुसाफिर दर्द का
घर मेरा है शमशानो में
देखकर मेरी उझड़ी हालत
नही आने देता कोई बागों में
मेरी सदाओं से दरारे पड़ी दीवारों में
मेरे आंसुओं से फूल खिले वीरानो में