sad poetry in hindi on love
आँखों ही आँखों में जब बाते होने लगती है
आँखों ही आँखों में जब बाते होने लगती है
समझो तब मोहब्बत की शुरुआते होने लगती है
दिन निकलने लगते है किसी के इंतजार में
किसी की यादों में ढलती शामे होने लगती है
चांद जैसा लगने लगता है किसी का चेहरा
किसी के ख्यालों में मुक्कमल राते होने लगती है
सुहाने सुहाने लगने लगते है हर पल जिंदगी के
बिन सावन के ही फिर बरसाते होने लगती है
बांधे जाते है मन्नत के धागे फिर मन्दिरों में
किसी को पाने के लिए मस्जिदों में नमाजे होने लगती है
फूल, पत्ते, कालिया, सब अच्छे लगने लगते है
तितलियों से दिन रात बाते होने लगती है
दिन निकलने लगते है किसी के इंतजार में
किसी की यादों में तब ढलती शामे होने लगती है