sad poetry in hindi on love
हां, करती हूं मैं प्यार से इंकार कभी कभी
हां, करती हूं मैं प्यार से इंकार कभी कभी
पर आ ही जाती है तेरी याद कभी कभी
कभी कभी चली जाती हूं वहां जहां हम पहली बारे मिले थे
वहां से फिर लगाती हूं तुझे आवाज कभी कभी
चांद चिढ़ाता है मुझको, तारे पूछते है तेरा
बड़ा जाती है बैचेनी तन्हा रात कभी कभी
ताजा हो जाता है दर्द जब देखती हूं तस्वीर तेरी
कर लिया करो हमसे मुलाकात कभी कभी
जब भी इकट्ठे होते है हमारे पुराने दोस्त
जाने अंजाने फिर छिड़ जाति है तेरी बात कभी कभी
कुछ बाते छोड़ जाती है आँसूं मेरी आँखों में
तो कुछ छोड़ जाती है मेरे होंठों पर मुस्कान कभी कभी
हां, करती हूं मैं प्यार से इंकार कभी कभी
पर आ ही जाति है तेरी याद कभी कभी