sad poetry in hindi on love
दीयों को बुझा क्यूं नही देते
हमारे प्यार में जो भी अड़चन है तुम उसे हटा क्यूं नही देते
जानां आज तुम कुछ देर के लिए दीयों को बुझा क्यूं नही देते
इस एक दिन के लिए मैने बरसों इंतजार किया तुम्हारा
जानां आज तुम मेरा वो सारा इंतजार मिटा क्यूं नही देते
जानां जो आज मिलने आ ही गए हो तो एक काम करो
जो मेरे अंदर की औरत तड़प रही है उसका दर्द घटा क्यूं नही देते
कब से छटपटा रहा है मेरे अंदर का परिंदा तुझसे मिलन को
जानां आज तुम उसे अपने प्यार के आसमां में उड़ा क्यूं नही देते
जिसके सहारे मैं काट सकूं अपनी बाकी की जिंदगी सारी
आज तुम मेरे दिल पर ऐसा कोई घाव गहरा लगा क्यूं नही देते
फूटती रहे तेरी मोहब्बत की कलियां उम्रभर मेरे बदन से
जानां जाते जाते मेरे अंदर ऐसा कोई बाग खिला क्यूं नही देते
हमारे प्यार में जो भी अड़चन है तुम उसे हटा क्यूं नही देते
जानां आज तुम कुछ देर के लिए दीयों को बुझा क्यूं नही देते